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New JAUN ELIA SHAYARI Status
जॉन एलिया शायरी / JAUN ELIA SHAYARI – JAUN ELIA SHAYARI, 14 दिसंबर, 1931 को भारत के उत्तर प्रदेश के अमरोहा में जन्मे जौन एलिया पाकिस्तानी मूल के एक प्रसिद्ध कवि, लेखक थे। अपनी भारतीय जड़ों के बावजूद, एलिया 1947 में विभाजन के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। उन्होने जीवन के ऊपर, इंसान क्यों है और ऐसे विषयों पर लिखा जिससे उनकी फलसफा को समझा जा सकता है|
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JAUN ELIA SHAYARI Status | जॉन एलिया शायरी स्टेटस इन हिंदी
अब मैं सारे जहाँ में हूँ बदनाम,
जौन एलिया
अब भी तुम मुझको जानती हो क्या..!!
ज़िन्दगी किस तरह बसर होगी,
जौन एलिया
दिल नहीं लग रहा मुहब्बत में।
हैरूह प्यासी कहाँ से आती है
जौन एलिया
ये उदासी कहाँ से आती है
मुझसे कहती थीं वो शराब आँखें
जौन एलिया
आप वो ज़हर मत पिया कीजे….
सारे रिश्ते तबाह कर आया,
जौन एलिया
दिल-ए-बर्बाद अपने घर आया
मैं रहा उम्र भर जुड़ा खुद से,
याद मैं खुद को उम्र भर आया।
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
जौन एलिया
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या
एक हुनर हैं जो कर गया हुँ मैं,
जौन एलिया
सबके दिल से उतर गया हुँ मैं,
क्या बताऊँ की मर नहीं पाता,
जीते जी जब से मर गया हुँ मैं।
शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी,
जौन एलिया
नाज़ से काम क्यों नहीं लेतीं,
आप, वो, जी, मगर, ये सब क्या है,
तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेतीं।
ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,
जौन एलिया
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,
जौन एलिया
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
जमा हम ने किया है ग़म दिल में,
जौन एलिया
इस का अब सूद खाए जाएँगे
उस गली ने ये सुन के सब्र किया,
जौन एलिया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं।
सोचूँ तो सारी उम्र मोहब्बत में कट गई,
जौन एलिया
देखूँ तो एक शख़्स भी मेरा नहीं हुआ..!
मुद्दतों बाद इक शख़्स से मिलने के लिए,
जौन एलिया
आइना देखा गया, बाल सँवारे गए..!!
मर गए ख़्वाब सबकी आंखों के,
जौन एलिया
हर तरफ है गिला हकीक़त का।
चारसाजों की चारासाजी से
जौन एलिया
दर्द बदनाम तो नहीं होगा
हाँ, दवा दो, मगर ये बतला दो
मुझ को आराम तो नहीं होगा.
और तो क्या था बेचने के लिए
जौन एलिया
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं
मैं तो बस एक नाम था और मुझे हवाओं में,
जौन एलिया
धूल पे लिख दिया गया और उड़ा दिया गया।
अपना ख़ाका लगता हूँ,
जौन एलिया
एक तमाशा लगता हूँ !
अब मैं कोई शख़्स नहीं,
उस का साया लगता हूँ !
बोहोत दिल को कुशादा कर लिया क्या,
जौन एलिया
ज़माने भर से वादा कर लिया क्या,
बोहोत नजदीक आती जा रही हो,
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या।
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
जौन एलिया
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
जाने उस से निभेगी किस तरह
जौन एलिया
वो ख़ुदा है मैं तो बंदा भी नहीं
गवाई किस तमन्ना में ज़िन्दगी मैंने,
जौन एलिया
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैंने,
तेरा ख़याल तो है, पर तेरा वजूद नहीं,
तेरे लिए ये महफ़िल सजाई मैंने।
सारी गली सुनसान पड़ी थी बाद-ए-फ़ना के पहर में
जौन एलिया
हिज्र के डालन और आँगन में बस एक साया ज़िंदा था।
ख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी,
जौन एलिया
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी..!!
ये मत भूलो कि ये लम्हात हम को,
जौन एलिया
बिछड़ने के लिए मिलवा रहे हैं..!!
मेरा एक मशवरा है इल्तेज़ा नहीं,
जौन एलिया
तू मेरे पास से इस वक़्त जा नहीं..!!
शर्मिंदगी है हम को बहुत हम मिले तुम्हें
जौन एलिया
तुम सर-ब-सर ख़ुशी थे मगर ग़म मिले तुम्हें
न कोई ज़ख़्म न मरहम कि ज़िंदगी अपनी
जौन एलिया
गुज़र रही है हर एहसास को गँवाने में
मगर ये ज़ख़्म ये मरहम भी कम नहीं शायद
कि हम हैं एक ज़मीं पर और इक ज़माने में
उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
जौन एलिया
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।
रोया हूँ तो अपने दोस्तों में
जौन एलिया
पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ।
नया एक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम,
जौन एलिया
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम।
जो गुज़ारी न जा सकी हम से
जौन एलिया
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
यूँ जो ताकता है आसमान को तू,
जौन एलिया
कोई रहता है आसमान में क्या?
यह मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शख्स था जहां में क्या?।
वो ख़याल-ए-मुहाल किस का था,
जौन एलिया
आइना बे-मिसाल किस का था!
सफ़री अपने आप से था मैं,
हिज्र* किस का विसाल* किस का था!
मैं तो ख़ुद में कहीं न था मौजूद,
मेरे लब पर सवाल किस का था!
सो गए पेड़ जग उठी खुशबू
जौन एलिया
जिंदगी ख्वाब क्यों दिखाती है।
अब तो उस के बारे में तुम जो चाहो वो कह डालो,
जौन एलिया
वो अंगड़ाई मेरे कमरे तक तो बड़ी रूहानी थी
दिल तमन्ना से डर गया जनाब,
जौन एलिया
सारा नशा उतर गया जनाब..!!
मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस,
जौन एलिया
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं।
वक्त के रास्ते से हम तुम को,
जौन एलिया
एक ही साथ तो गुजरना था,
हम तो जी भी नहीं सके एक साथ,
हम को एक साथ मारना था।
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
जौन एलिया
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
जौन एलिया
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
जौन एलिया
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है
हमारे ज़ख़्म ए तमन्ना पुराने हो गए हैं,
जौन एलिया
कि उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं।
शहर आबाद कर के शहर के लोग,
जौन एलिया
अपने अंदर बिखरते जाते हैं….
सब दलीलें तो मुझको याद रही
जौन एलिया
बहस क्या थी उसी को भूल गया।
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जौन एलिया
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं
अब जो रिश्तों में बँधा हूँ तो खुला है मुझ पर,
जौन एलिया
कब परिंद उड़ नहीं पाते हैं परों के होते
हम को यारों ने याद भी न रखा,
जौन एलिया
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो..!!
हम वो हैं जो खुदा को भूल गए
जौन एलिया
तुम मेरी जान किस गुमान में हो
देख लो मैं क्या कमाल कर गया हूं
जौन एलिया
जिंदा भी हूं और इंतकाल कर गया हूं
न करो बहस हार जाओगी,
जौन एलिया
हुस्न इतनी बड़ी दलील नहीं..!!
ऐलान उसका देखिए कि मजे में है
जौन एलिया
या तो कोई फ़कीर है या फ़िर नशे में है
तुम पे मरने से कहीं बेहतर था
जौन एलिया
हम किसी हादसे में मर जाते
पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें,
जौन एलिया
ज़मीं का बोझ हल्का क्यूँ करें हम..!!
कौन कहता है उमर भर निबाह कीजिए
जौन एलिया
बस आइये, बैठिए, फ़ना कीजिये , तबाह कीजिए
क्यूं न चेहरों पे अब वो रंग खिलें
जौन एलिया
अब तो खाली है रूह, जज़्बों से
अब भी क्या हम तपाक से न मिलें
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
जौन एलिया
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
बोलते क्यूं नहीं मेरे हक़ में,
जौन एलिया
आबले पड़ गए ज़बान में क्या?
कोई ताल्लुक़ ही ना रहे
जौन एलिया
जब कि सबब भी बाकी हो
क्य़ा मैं अब भी ज़िन्दा हूँ
क्य़ा तुम अब भी बाकी हो
वक़्त किसी के पास नहीं होता है
जौन एलिया
रिश्ते निभाने के लिए
वक़्त निकालता पड़ता है.
क्या कहें कितनी ही बातें थीं जो अब याद नहीं
जौन एलिया
क्या करें हम से बड़ी भूल हुई , भूल गए !
शब जो हमसे हुआ मुआफ़ करो
जौन एलिया
नहीं पी थी बहक गए होंगे
जो ज़िंदगी बची है उसे मत गंवाइये
जौन एलिया
बेहतर ये है कि आप मुझे भूल जाइए …!!!
बात ये है कि लोग बदल गए हैं
जौन एलिया
ज़ुल्म ये है कि वो मानते भी नहीं
ऐ जाने-अहदो-पैमां, हम घर बसाएंगे हां
जौन एलिया
तू अपने घर में होगा, हम अपने घर में होंगे
हम को सौदा था सर के मान में थे,
जौन एलिया
पाँव फिसला तो आस्मान में थे।
है निदामत लहू न रोया दिल,
ज़ख्म दिल के किसी की चटान में थे।
मेरे गुस्से का असर क्या होगा…
जौन एलिया
मुझे गुस्से में हसी आती है..
मैं ले के दिल के रिश्ते घर से निकल चुका हूं
जौन एलिया
दीवारो-दर के रिश्ते, दीवारो-दर में होंगे
कौन सीखा है सिर्फ बातों से,
जौन एलिया
सबको एक हादसा जरूरी है
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
जौन एलिया
अब कोई शिकवा हम नहीं करते
मुझ को आदत है रूठ जाने की
जौन एलिया
आप मुझ को मना लिया कीजे
आंगन से वो जो पिछले दालान तक बसे थे
जौन एलिया
जाने वो मेरे साए अब किस खन्डर में होंगे