IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI IN TEXT | IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI IN HINDI | IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI IN URDU | IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI LYRICS
New IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI Status in Hindi
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI in HINDI – IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI / IMRAN SHAYARI इमरान प्रतापगढ़ी साहब की शायरी का नमूना है| इसके बारे में लिखना बहुत ही मुश्किल इसलिए नहीं की उसको समझना मुश्किल है, बल्कि इस शायरी को शब्दों में समझाना ही सबसे बड़ी कमी होगी|
तो उनके शब्दों से आपकी मुलाक़ात करते है इस पोस्ट के माधयम से, जिसमे आपके लिए ढेर सारे IMRAN PRATAPGARHI Shayari, IMRAN SHAYARI, IMRAN PRATAPGARHI Shayari Messages, IMRAN PRATAPGARHI Shayari IN HINDI, IMRAN PRATAPGARHI Shayari Status, IMRAN PRATAPGARHI Shayari Lyrics आदि हैं जो आपको बहुत पसंद आने वाले हैं। और आप उन्हें अपने Whatsapp status, Instagram, Facebook पर भी लगा सकते है। अगर आप चाहे तो उन्हें अपने प्यारे दोस्तों को और अपने जानने वालों को भी भेज सकते हैं| यदि आपको यह पोस्ट पसंद आती है तो शेयर जरूर करें।
IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI Status in Hindi | इमरान प्रतापगढ़ी शायरी स्टेटस इन हिंदी
लड़कपन का नशा उस पर मुहब्बत और पागलपन,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
मेरी इस ज़िंदगी का ख़ूबसूरत दौर पागलपन !
मेरे घरवाले कहते हैं बड़े अब हो चुके हो तुम,
मगर मन फिर भी कहता है करूं कुछ और पागलपन !!
हवा के साथ उड़ने वाले ये आवारगी के दिन,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
मेरी मासूमियत के और मेरी संजीदगी के दिन !
कुछेक टीशर्ट, कुछेक जींस और एक कैप छोटी सी,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
मेरे लैपटॉप और मोबाइल से ये दोस्ती के दिन !!
अजब सी एक ख़ुशबू फिर भी घर में साथ रहती है,
कोई मासूम सी लड़की सफ़र में साथ रहती है……..!
मेरी बाइक की पिछली सीट जो अब तक अकेली है,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
इधर लगता है उसने कोई ख़ुशबू साथ ले ली है !
मगर इस बीच मैं बाइक पे जब-जब बैठता हूं तो,
मुझे लगता है कांधे पर कोई नाज़ुक हथेली है !!
लड़कपन का नशा उस पर मुहब्बत और पागलपन,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
मेरी इस ज़िंदगी का ख़ूबसूरत दौर पागलपन !
मेरे घरवाले कहते हैं बड़े अब हो चुके हो तुम,
मगर मन फिर भी कहता है करूं कुछ और पागलपन !!
सुबह में रात में और दोपहर में साथ रहती है,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
कोई मासूम सी लड़की सफ़र में साथ रहती है…..!
समय जब भागता है रात गहरी होने लगती है,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
तो उसकी याद की शम्मा सुनहरी होने लगती है !
मेरी पलकों पे उसके ख़्वाब उगने लगते हैं जैसे ,
अजब ख़ुशबू से तर मेरी मसहरी होने लगती है !
लड़कपन का नशा उस पर मुहब्बत और पागलपन,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
मेरी इस ज़िंदगी का ख़ूबसूरत दौर पागलपन !
मेरे घरवाले कहते हैं बड़े अब हो चुके हो तुम,
मगर मन फिर भी कहता है करूं कुछ और पागलपन !!
मैं उठकर बैठता हूं और क़लम काग़ज़ उठाता हूं,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
मैं उस काग़ज़ पे अपनी याद का चेहरा बनाता हूं!!
लड़कपन का नशा उस पर मुहब्बत और पागलपन,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
मेरी इस ज़िंदगी का ख़ूबसूरत दौर पागलपन !
मेरे घरवाले कहते हैं बड़े अब हो चुके हो तुम,
मगर मन फिर भी कहता है करूं कुछ और पागलपन !!
उजाले चुभने लगते हैं मेरी आंखों को कमरे के,
इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI
क़लम को चूमता हूं और चराग़ों को बुझाता हूं!
मेरी यादों के इस उठते भंवर में साथ रहती है,
कोई मासूम सी लड़की सफ़र में साथ रहती है ……. !!