BEST IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI IN HINDI | इमरान प्रतापगढ़ी शायरी इन हिंदी

इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI in HINDI - IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI / IMRAN SHAYARI इमरान प्रतापगढ़ी साहब की शायरी का नमूना है| इसके बारे में लिखना बहुत ही मुश्किल इसलिए नहीं की उसको समझना मुश्किल है, बल्कि इस शायरी को शब्दों में समझाना ही सबसे बड़ी कमी होगी| इस श्यारी को पड़ने के बाद आप अपने आस पास होने वाले छोटे से छोटे पल को बड़ी गहरायी से देखने पर मजबूर हो जाएंगे|
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IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI IN TEXT | IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI IN HINDI | IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI IN URDU | IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI LYRICS

New IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI Status in Hindi

इमरान प्रतापगढ़ी / IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI in HINDI IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI / IMRAN SHAYARI इमरान प्रतापगढ़ी साहब की शायरी का नमूना है| इसके बारे में लिखना बहुत ही मुश्किल इसलिए नहीं की उसको समझना मुश्किल है, बल्कि इस शायरी को शब्दों में समझाना ही सबसे बड़ी कमी होगी|

तो उनके शब्दों से आपकी मुलाक़ात करते है इस पोस्ट के माधयम से, जिसमे आपके लिए ढेर सारे IMRAN PRATAPGARHI Shayari, IMRAN SHAYARI, IMRAN PRATAPGARHI Shayari Messages, IMRAN PRATAPGARHI Shayari IN HINDI, IMRAN PRATAPGARHI Shayari Status, IMRAN PRATAPGARHI Shayari Lyrics आदि हैं जो आपको बहुत पसंद आने वाले हैं। और आप उन्हें अपने Whatsapp status, Instagram, Facebook पर भी लगा सकते है। अगर आप चाहे तो उन्हें अपने प्यारे दोस्तों को और अपने जानने वालों को भी भेज सकते हैं| यदि आपको यह पोस्ट पसंद आती है तो शेयर जरूर करें।

IMRAN PRATAPGARHI SHAYARI Status in Hindi | इमरान प्रतापगढ़ी शायरी स्टेटस इन हिंदी

IMRAN-PRATAPGARHI-SHAYARI(1-1F)
IMRAN PRATAPGARHI
IMRAN-PRATAPGARHI-SHAYARI-IN-HINDI(1)

लड़कपन का नशा उस पर मुहब्बत और पागलपन,
मेरी इस ज़िंदगी का ख़ूबसूरत दौर पागलपन !
मेरे घरवाले कहते हैं बड़े अब हो चुके हो तुम,
मगर मन फिर भी कहता है करूं कुछ और पागलपन !!

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
IMRAN-PRATAPGARHI(2)

हवा के साथ उड़ने वाले ये आवारगी के दिन,
मेरी मासूमियत के और मेरी संजीदगी के दिन !

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
IMRAN-PRATAPGARHI(3)

कुछेक टीशर्ट, कुछेक जींस और एक कैप छोटी सी,
मेरे लैपटॉप और मोबाइल से ये दोस्ती के दिन !!
अजब सी एक ख़ुशबू फिर भी घर में साथ रहती है,
कोई मासूम सी लड़की सफ़र में साथ रहती है……..!

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
IMRAN-PRATAPGARHI(4)

मेरी बाइक की पिछली सीट जो अब तक अकेली है,
इधर लगता है उसने कोई ख़ुशबू साथ ले ली है !
मगर इस बीच मैं बाइक पे जब-जब बैठता हूं तो,
मुझे लगता है कांधे पर कोई नाज़ुक हथेली है !!

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
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IMRAN-PRATAPGARHI(5)

लड़कपन का नशा उस पर मुहब्बत और पागलपन,
मेरी इस ज़िंदगी का ख़ूबसूरत दौर पागलपन !
मेरे घरवाले कहते हैं बड़े अब हो चुके हो तुम,
मगर मन फिर भी कहता है करूं कुछ और पागलपन !!

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
IMRAN-PRATAPGARHI(6)

सुबह में रात में और दोपहर में साथ रहती है,
कोई मासूम सी लड़की सफ़र में साथ रहती है…..!

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
IMRAN-PRATAPGARHI(7)

समय जब भागता है रात गहरी होने लगती है,
तो उसकी याद की शम्मा सुनहरी होने लगती है !
मेरी पलकों पे उसके ख़्वाब उगने लगते हैं जैसे ,
अजब ख़ुशबू से तर मेरी मसहरी होने लगती है !

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
IMRAN-PRATAPGARHI(8)

लड़कपन का नशा उस पर मुहब्बत और पागलपन,
मेरी इस ज़िंदगी का ख़ूबसूरत दौर पागलपन !
मेरे घरवाले कहते हैं बड़े अब हो चुके हो तुम,
मगर मन फिर भी कहता है करूं कुछ और पागलपन !!

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
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IMRAN-PRATAPGARHI(9)

मैं उठकर बैठता हूं और क़लम काग़ज़ उठाता हूं,
मैं उस काग़ज़ पे अपनी याद का चेहरा बनाता हूं!!

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
IMRAN-PRATAPGARHI(10)

लड़कपन का नशा उस पर मुहब्बत और पागलपन,
मेरी इस ज़िंदगी का ख़ूबसूरत दौर पागलपन !
मेरे घरवाले कहते हैं बड़े अब हो चुके हो तुम,
मगर मन फिर भी कहता है करूं कुछ और पागलपन !!

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
IMRAN-PRATAPGARHI(11)

उजाले चुभने लगते हैं मेरी आंखों को कमरे के,
क़लम को चूमता हूं और चराग़ों को बुझाता हूं!
मेरी यादों के इस उठते भंवर में साथ रहती है,
कोई मासूम सी लड़की सफ़र में साथ रहती है ……. !!

इमरान प्रतापगढ़ी  / IMRAN PRATAPGARHI
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