100+ BEST RAHAT INDORI SHAYARI IN HINDI | राहत इंदौरी शायरी इन हिंदी

RAHAT INDORI SHAYARI/ राहत इंदौरी  अपने बड़े सरल शब्दों में बहुत ही वज़नदार बाते बोल दिया करते थे| तो उनके शब्दों से आपकी मुलाक़ात करते है इस पोस्ट के माधयम से,
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RAHAT INDORI SHAYARI | RAHAT INDORI SHAYARI MESSAGE | RAHAT INDORI SHAYARI IMAGES | RAHAT INDORI SHAYARI STATUS

RAHAT INDORI SHAYARI-(3)
RAHAT INDORI SHAYARI

New RAHAT INDORI SHAYARI Status in Hindi

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI SHAYARI in HINDI RAHAT INDORI SHAYARI / RAHAT SHAYARI YE POST राहत इंदौरी साहब की शायरी का नमूना है| इसके बारे में लिखना बहुत ही मुश्किल इसलिए नहीं की उसको समझना मुश्किल है, बल्कि इस शायरी को शब्दों में समझाना ही सबसे बड़ी कमी होगी| इस श्यारी को पड़ने के बाद आप अपने आस पास होने वाले छोटे से छोटे पल को बड़ी गहरायी से देखने पर मजबूर हो जाएंगे|

राहत इंदौरी साहब अपने बड़े सरल शब्दों में बहुत ही वज़नदार बाते बोल दिया करते थे| बड़े ही अफ़सोस की बात है की वह अब हमारे बीच में नहीं है पर उनके शब्द आज भी भूले नहीं गए|

तो उनके शब्दों से आपकी मुलाक़ात करते है इस पोस्ट के माधयम से, जिसमे आपके लिए ढेर सारे RAHAT INDORI Shayari, RAHAT SHAYARI, RAHAT INDORI Shayari Messages, RAHAT Shayari Messages, RAHAT INDORI Shayari Status, RAHAT Shayari Status आदि हैं जो आपको बहुत पसंद आने वाले हैं। और आप उन्हें अपने Whatsapp status, Instagram, Facebook पर भी लगा सकते है। अगर आप चाहे तो उन्हें अपने प्यारे दोस्तों को और अपने जानने वालों को भी भेज सकते हैं| यदि आपको यह पोस्ट पसंद आती है तो शेयर जरूर करें।

RAHAT INDORI SHAYARI Status in Hindi | राहत इंदौरी शायरी स्टेटस इन हिंदी

RAHAT INDORI SHAYARI-(51)
RAHAT INDORI SHAYARI

जनाज़े पर मेरे लिख देना यारों
मोहब्बत करने वाला जा रहा है |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(43)
RAHAT INDORI SHAYARI

हमारे शहर के मंज़र न देख पाएँगे
यहाँ के लोग तो आँखों में ख़्वाब रखते हैं |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(35)
RAHAT INDORI SHAYARI

तसव्वुर में न जाने कौन आया
महक उट्ठे दर-ओ-दीवार मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(27)
RAHAT INDORI SHAYARI

वबा ने काश हमें भी बुला लिया होता
तो हम पे मौत का एहसान भी नहीं होता |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(19)
RAHAT INDORI SHAYARI

चाँद रातों में हमें डसता है दिन में सूरज
शर्म आती है अंधेरों से कमाई लेते |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(11)
RAHAT INDORI SHAYARI

हाथ ख़ाली हैं तिरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मिरी जान लुटाते जाते
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते..

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(3)
RAHAT INDORI SHAYARI

तुम ही सनम हो, तुम ही खुदा हो,
वफा भी तुम हो तुम, तुम ही जफा हो,
सितम करो तो मिसाल कर दो,
करम करो तो कमाल कर दो |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(2)
RAHAT INDORI SHAYARI

ये सहारा जो नहीं हो तो परेशान हो जाएँ,
मुश्किलें जान ही लेलें अगर आसान हो जाएँ,
ये जो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएँ तो इंसान हो जा |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(10)
RAHAT INDORI SHAYARI

सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें,
शाखों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें..

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(18)
RAHAT INDORI SHAYARI

तुम ने जो तोड़ दिए ख़्वाब हम उन के बदले
कोई कीमत कभी लेते तो खुदाई लेते |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(26)
RAHAT INDORI SHAYARI

सियासत में ज़रूरी है रवादारी समझता है
वो रोज़ा तो नहीं रखता पर इफ्तारी समझता है |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(34)
RAHAT INDORI SHAYARI

तुम्हारा नाम दुनिया जानती है
बहुत रुस्वा हैं अब अशआर मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(42)
RAHAT INDORI SHAYARI

शजर हैं अब समर-आसार मेरे
चले आते हैं दावेदार मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(50)
RAHAT INDORI SHAYARI

विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है,
ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है,
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है,
फिर न जाने क्यों बदल जाते है |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(49)
RAHAT INDORI SHAYARI

बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(41)
RAHAT INDORI SHAYARI

मुहाजिर हैं न अब अंसार मेरे
मुख़ालिफ़ हैं बहुत इस बार मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(33)
RAHAT INDORI SHAYARI

भँवर में रुक गई है नाव मेरी
किनारे रह गए इस पार मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(25)
RAHAT INDORI SHAYARI

मैं साँसें तक लुटा सकता हूँ उसके एक इशारे पर
मगर वो मेरे हर वादे को सरकारी समझता है |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(17)

वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(9)

लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यूँ हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(1)

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(16)

जो दुनिया को सुनाई दे उसे कहते हैं ख़ामोशी
जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफ़ान कहते हैं |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(8)

प्यार के उजाले में गम का अंधेरा क्यों है,
जिसको हम चाहे वही रुलाता क्यों है,
मेरे रब्बा अगर वो मेरा नसीब नहीं तो,
ऐसे लोगों से हमें मिलाता क्यों है |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(32)

मैं ख़ुद अपनी हिफ़ाज़त कर रहा हूँ
अभी सोए हैं पहरे-दार मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(24)

कसीदा किस तरह लिखना कसीदा किस तरह पढ़ना
वो कुछ समझे ना समझे राग दरबारी समझता है |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(40)

यहाँ इक बूँद का मुहताज हूँ मैं
समुंदर हैं समुंदर पार मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(48)

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई माँगे
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई माँगे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(47)

दिलों में आग लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चेहरों पे दोहरी नक़ाब रखते हैं |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(39)

अभी मुर्दों में रूहें फूँक डालें
अगर चाहें तो ये बीमार मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(31)

जो दुनिया को सुनाई दे उसे कहते हैं ख़ामोशी
जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफ़ान कहते हैं |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(23)

बैर दुनिया से कबीले से लड़ाई लेते
एक सच के लिए किस किस से बुराई लेते |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(15)

दो गज़ सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है
ऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(7)

मेरी सांसों में समाया भी बहुत लगता है,
और वही शख्स पराया भी बहुत लगता है,
उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन
आने जाने में किराया भी बहुत लगता है |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(6)

धनक है, रंग है, एहसास है की खुशबू है,
चमक है, नूर है, मुस्कान है के आँसू है,
मैं नाम क्या दूं उजालों की इन लकीरों को
खनक है, रक्स है, आवाज़ है की जादू है |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(14)

गुलाब, ख़्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या है
मैं आ गया हूँ, बता इंतज़ाम क्या क्या है |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(22)

आबले अपने ही अंगारों के ताज़ा हैं अभी
लोग क्यों आग हथेली पे पराई लेते |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(30)

नए सफ़र का जो एलान भी नहीं होता
तो ज़िंदा रहने का अरमान भी नहीं होता |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(38)

हवाएँ ओढ़ कर सोया था दुश्मन
गए बेकार सारे वार मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(46)

हमें चराग़ समझ कर बुझा न पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़्ताब रखते हैं |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(45)

बहुत से लोग कि जो हर्फ़-आशना भी नहीं
इसी में ख़ुश हैं कि तेरी किताब रखते हैं |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(37)

मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(29)

तमाम फूल वही लोग तोड़ लेते हैं
वो जिन के कमरों में गुल-दान भी नहीं होता |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(21)

बर्फ़ की तरह दिसम्बर का सफ़र होता है
हम उसे साथ न लेते तो रज़ाई लेते |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(13)

मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो
आसमाँ लाए हो ले आओ ज़मीं पर रख दो |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(5)

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(4)

फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए,
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए,
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(12)

तूफ़ानों से आँख मिलाओ सैलाबों पे वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो तैर के दरिया पार करो |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(20)

कितना मानूस सा हमदर्दों का ये दर्द रहा
इश्क़ कुछ रोग नहीं था जो दवाई लेते |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(28)

ख़मोशी ओढ़ के सोई हैं मस्जिदें सारी
किसी की मौत का एलान भी नहीं होता |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(36)

हँसी में टाल देना था मुझे भी
ख़ता क्यूँ हो गए सरकार मेरे |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
RAHAT INDORI SHAYARI-(44)

ये मय-कदा है वो मस्जिद है वो है बुत-ख़ाना
कहीं भी जाओ फ़रिश्ते हिसाब रखते हैं |

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं,
यह क्या हमें उड़ने से खाक रोकेंगे
कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं,
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं,
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते,
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

तन्हाई ले जाती है जहाँ तक याद तुम्हारी,
वही से शुरू होती है ज़िन्दगी हमारी,
नहीं सोचा था चाहेंगे हम तुम्हे इस कदर,
पर अब तो बन गए हो तुम किस्मत हमारी.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

सफ़र की हद है वहाँ तक की कुछ निशान रहे,
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे,
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल,
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है,
ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है,
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है,
फिर न जाने क्यों बदल जाते है.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

आग के पास कभी मोम को लाकर देखूँ,
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूँ,
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूँ.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे
दोस्तो दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

मैं एक गहरी ख़ामोशी हूँ आ झिंझोड़ मुझे,
मेरे हिसार में पत्थर-सा गिर के तोड़ मुझे,
बिखर सके तो बिखर जा मेरी तरह तू भी,
मैं तुझको जितना समेटूँ तू उतना जोड़ मुझे.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

तेरी हर बात ​मोहब्बत में गँवारा करके​,
​दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके​,
​मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी​,​​
​तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

जहाँ से गुजरो धुआं बिछा दो,
जहाँ भी पहुंचो धमाल कर दो,
तुम्हें सियासत ने हक दिया है,
हरी जमीनों को लाल कर दो.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

जा के ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से इश्क़ है
फूल इसबार खिलेगी बड़ी तैयारी है
मुदात्तो क बाद यु तब्दिल हुआ है मौसम
जैसे छुटकारा मिली हो बीमारी से.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

ये दुनिया है इधर जाने का नईं,
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर,
मगर हद से गुजर जाने का नईं.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

जो छेड़ दे कोई नगमा तो खिल उठें तारे,
हवा में उड़ने लगी रोशनी के फव्वारे,
आप सुनते ही नजरों में तैर जाते हैं,
दुआएं करते हुए मस्जिदों के मीनारें.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

कम नहीं हैं मुझे हमदमों से,
मेरा याराना है इन गमों से,
मैं खुशी को अगर मुंह लगा लूं,
मेरे यारों का दिल टूट जाए.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

यही ईमान लिखते हैं, यही ईमान पढ़ते हैं,
हमें कुछ और मत पढवाओ, हम कुरान पढ़ते हैं,
यहीं के सारे मंजर हैं, यहीं के सारे मौसम हैं,
वो अंधे हैं, जो इन आँखों में पाकिस्तान पढ़ते हैं.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

तुम ही सनम हो, तुम ही खुदा हो,
वफा भी तुम हो तुम, तुम ही जफा हो,
सितम करो तो मिसाल कर दो,
करम करो तो कमाल कर दो।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

तुम्हें किसी की कहाँ है परवाह,
तुम्हारे वादे का क्या भरोसा,
जो पल की कह दो तो कल बना दो,
जो कल की कह दो तो साल कर दो.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

साँसे हैं हवा दी है, मोहब्बत है वफ़ा है,
यह फैसला मुश्किल है कि हम किसके लिए हैं,
गुस्ताख ना समझो तो मुझे इतना बता दो,
अपनों पर सितम है तो करम किसके लिए हैं.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

तुम्हें किसी की कहाँ है परवाह,
तुम्हारे वादे का क्या भरोसा,
जो पल की कह दो तो कल बना दो,
जो कल की कह दो तो साल कर दो।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

जा के ये कह दो कोई शोलो से, चिंगारी से
फूल इस बार खिले है बड़ी तय्यारी से,
बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए
हमने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं,
सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं,
हमें चराग समझ कर भुझा ना पाओगे,
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

जा के ये कह दो कोई शोलो से, चिंगारी से
फूल इस बार खिले है बड़ी तय्यारी से,
बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए
हमने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए,
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए,
फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर,
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं,
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं,
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते,
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आये
वो हम नहीं हैं, जिन्हें रास्ता चलाता है.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

सफ़र की हद है वहाँ तक की कुछ निशान रहे,
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे,
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल,
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

सरहदों पर तनाव हे क्या,
ज़रा पता तो करो चुनाव हैं क्या,
शहरों में तो बारूदो का मौसम हैं,
गाँव चलों अमरूदो का मौसम हैं।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

आँख में पानी रखो, होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो, तरकीबें बहुत सारी रखो.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं,
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं,
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का,
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

इश्क़ में जीत के आने के लिए काफी हूं,
मैं निहत्था ही जमाने के लिए काफी हूं,
मेरी हर हकीकत को मेरी ख़ाक समझने वाले,
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए हीं काफी हूं।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे
दोस्तो दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

हर एक हर्फ का अन्दाज बदल रक्खा है,
आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रक्खा है,
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया
मेरे कमरे में भी एक ताजमहल रक्खा है।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

.बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी ना सकूँ
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी ना सकूँ
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी ना सकूँ।

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

रोज पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI

अजनबी ख़्वाहिशें, सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे, कि उड़ा भी न सकूँ.

राहत इंदौरी  / RAHAT INDORI
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