शाम भी थी धुआँ धुआँ
फ़िराक़ गोरखपुरी
हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
इतनी कोशिशें ना कर तू मेरे दर्द को समझने की,
तू पहले इश्क़ कर फिर चोट खा,
फिर लिख दवा मेरे दर्द की
बहुत दर्द होता है यह सोचकर कि मुझे ऐसा,
क्या पाना था जो मैंने खुद को भी खो दिया।
इश्क़ खुदकुशी का धंधा है,
अपनी ही लाश अपना ही कंधा है
मेरी तलाश का है जुर्म
या मेरी वफ़ा का कसूर,
जो दिल के करीब आया
वही बेवफा निकला।
टूटे हुए काँच की तरह चकनाचूर हो गए,
किसी को लग ना जाये इसलिए सबसे दूर हो गए।
कभी मिले फुर्सत तो इतना जरूर बताना
वो कौन सी मोहब्बत थी जो हम तुम्हे न दे सके।
एक उम्र बीत चली हैं,
तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर हैं,
कल की तरह…
कल क्या खूब इश्क़ से इन्तकाम लिया मैंने,
कागज़ पर लिखा इश्क़ और उसे जला दिया।
हमने सब कुछ पा लिया तुम से इश्क करके ,
बस कुछ रह गया तो वो तुम ही थे
एक उम्र बीत चली हैं,
तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर हैं,
कल की तरह…
जख्म ही देना था,
तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था,
मगर कम्बख्त तूने तो,
हर वार दिल पर ही किया
मैं बैठूंगा जरूर महफ़िल में मगर पियूँगा नहीं,
क्योंकि मेरा गम मिटा दे इतनी शराब की औकात नहीं।
वो मुझसे दूर रहकर खुश है,
और मै उसे खुश देखने के लिए दूर हूँ।
ना जिंदगी मिली न वफ़ा मिली,
क्यों हर खुशी हम से खफा मिली,
झूठी मुस्कान लिए दर्द छुपाते रहे
सच्चे प्यार की हमें क्या सजा मिली
मुश्किले अपने बेगानों का फर्क बता देती हैं
दिल में क्या लब पर क्या हर राज बता देती है..!!
मेरी तन्हाई को मेरा शौक मत समझना,
क्योंकि किसी अपने ने ये बहुत प्यार से दिया था तोहफे में
भगवान’ ने जब ‘प्यार’ बनाया होगा…
तो खुद ‘आज़माया’ होगा…
हमारी तो ‘औकात’ ही क्या है?
इस ‘प्यार’ ने ‘भगवान’ को भी ‘रुलाया’ होगा!
एक उम्र बीत चली हैं,
तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर हैं,
कल की तरह…
किसी को चाहकर छोड़ देना
बहुत आसान है
किसी को छोड़कर भी चाहो तो
पता चलेगा मोहब्बत किसे कहते हैं !
उसके साथ का सफर तो ख़तम हो गया,
बस जिंदगी ख़तम होना बाकी है |
रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की ,
ये तेरी आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी !!
सबकुछ करो बुरा भला कहलो
थप्पड़ मारलो, मगर याद रखो
दोराहे पर लाकर किसी का साथ मत
छोड़ो इंसान जीते जी मर जाता है
जख्म ही देना था,
तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था,
मगर कम्बख्त तूने तो,
हर वार दिल पर ही किया
कोशिश तो बहुत की पलकों ने रोकने की ,
मगर इश्क में पागल थे आँसू, ख़ुदकुशी करते चले गए |
मेरी हर आह को वाह मिली है यहाँ…
कौन कहता है दर्द बिकता नहीं है !
तेरी एक झलक पाने के लिए,
तरस जाता हैं मेरा दिल,
खुश किस्मत हैं वो लोग ,
जो तुझे रोज देखते हैं |
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
साहिर लुधियानवी
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
नमक की तरह हो गई है जिंदगी,
लोग स्वादनुसार इस्तेमाल कर लेते है।
होले होले कोई याद आया करता है,
कोई मेरी हर साँसों को महकाया करता है,
उस अजनबी का हर पल शुक्रिया अदा करते हैं,
जो इस नाचीज़ को मोहब्बत सिखाया करता है।
बरबाद करना था तो किसी और
तरीके से करते
जिन्दगी बनकर जिन्दगी से जिन्दगी
ही छीन ली तुमने !
मैं राजी हूं तेरे हर फैसले से खुदा
मगर मेरा दिल तरसा है
उसे पाने के लिए !!
वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल,
उदास करती हैं मुझको निशानियाँ तेरी !
मोहब्बत का दर्द दिल में छुपाया बहुत है,
सच कहुँ उसकी मोहब्बत ने रुलाया बहुत है।
आँसू आ जाते है रोने से पहले,
ख्वाब टूट जाते है सोने से पहले,
लोग कहते है मोहब्बत गुनाह है,
काश कोई रोक लेते गुनाह होने से पहले।
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते ,
पर वो तारा नहीं टूटता ,जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ |
वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई,
न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई,
अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ,
कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई।
बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे,
इक शहर अब इनका भी होना चाहिए…
बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।
हम भी जिया करते थे कभी,
परिंदे जैसी आजादी लेकर,
फिर एक शख्स आया,
मोहब्बत की आड़ में, मेरी बर्बादी लेकर।
अपनों से ही टूटा हूँ,
तो अब सवाल क्या करू !!
तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे,
उतनी ही तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ |
उल्फत में कभि यह हाल होता है,
आंखे हस्ती है मगर दील रोता है,
मानते है हम जिसे मंजिल अपनी,
हमसफ़र उसका कोई और होता है
ज़ख्म दे कर ना पूछ तू मेरे दर्द की शिद्दत,
दर्द तो फिर दर्द है कम क्या ज्यादा क्या।
परवाह करने वाले अक्सर रुला जाते है,
अपना कहकर पराया कर जाते है,
वफ़ा जितनी भी करो कोई फर्क नहीं,
“मुझे मत छोड़ना” कहकर खुद छोड़ जाते !
ए नसीब जरा एक बात तो बता,
तू सबको आज़माता है
या मुझसे ही दुश्मनी है।।
ये कैसी मोहब्बत है तेरी न हम समझ पाए,
महफ़िल में मिले तो अंजान कह दिया
तन्हा जो मिले तो जान कह दिया
रोते-रोते थककर जैसे कोई बच्चा सो जाता है
हाल हमारे दिल का अक्सर कुछ ऐसा ही हो जाता है
सिर्फ सहने वाला ही जानता है,
की दर्द कितना गहरा है।